
🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩 ※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※ 🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹 ※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※ 🌹🔱 यथा श्रद्धा: तथा गति 🔱🌹 🌟 व्यक्ति जैसी सोच धारण करता है। वैसी ही गति पाता है। 💐 प्रिय भगवत्जन .... आपके प्रश्नानुसार .. कि क्या किसी एक ही देव या शक्ति को मानना श्रेयकर है। अगर हाँ ! तो व्यक्ति विभिन्न धर्मों व देवों की पूजा क्यों करते है। यहां तक कि कुछ व्यक्तियों को तो भूतप्रेतादिक को पूजते मानते हुए देखा गया है। इसका कारण क्या है। और उन्हैं कौन सी गति प्राप्त होती है? प्रियजन ... श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार ... यथा ... सत्त्वानुरुपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत | श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः || १७/३ || विभिन्न गुणों के अन्तर्गत अपने अपने अस्तित्व के अनुसार मनुष्य एक विशेष प्रकार की श्रद्धा विकसित करता है । अपने द्वारा अर्जित गुणों के अनुसार ही जीव को विशेष श्रद्धा से युक्त कहा जाता है । अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति में चाहे वह जैसा भी हो, एक विशेष प्रकार की श्रद्धा पाई जाती है । लेकिन उसके द्वारा अर्जित स्वभाव के...