संदेश

अक्तूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
चित्र
🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩   🌸🌹!:: भगवद्🌹अर्पणम् ::!🌹🌸 ※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※   🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹  ※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※ 🔅धर्म की परिभाषा : 💐 प्रिय भगवद्जन..... यतो ऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः। धर्म वह अनुशासित जीवन क्रम है, जिसमें लौकिक उन्नति (अविद्या) तथा आध्यात्मिक परमगति (विद्या) दोनों की प्राप्ति होती है। धर्म का शाब्दिक अर्थ :धर्म एक संस्कृत शब्द है। धर्म का अर्थ बहुत व्यापक है। ध + र् + म = धर्म। ध देवनागरी वर्णमाला 19वां अक्षर और तवर्ग का चौथा व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दन्त्य, स्पर्श, घोष तथा महाप्राण ध्वनि है। संस्कृत (धातु) धा + ड विशेषण- धारण करने वाला, पकड़ने वाला होता है। जो धारण करने योग्य है, वही धर्म है। पृथ्वी समस्त प्राणियों को धारण किए हुए है। जैसे हम किसी नियम को, व्रत को धारण करते हैं इत्यादि। इसका मतलब धर्म का अर्थ है कि जो सबको धारण किए हुए है अर्थात धारयति- इति धर्म:!। अर्थात जो सबको संभाले हुए है। सवाल उठता है कि कौन क्या धारण किए हुए हैं? धारण करना सही भी हो सकता है और गलत भी! धारण करने योग्य क्या ह